Friday, December 23, 2011

इलाहाबाद के गौरव


हाथ में सोटा मुंह में पान .....
इलाहाबाद शहर दक्षिणी से चार बार विधायक रहे कल्याणचंद्र मोहले उर्फ छुन्नन गुरु देश की आज़ादी से पहले से ही जनता के साथ मिल कर शहर की समस्याओं के निराकरण के लिए संघर्ष करते रहे थे ,स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए छुन्नन गुरु मालवीय नगर से तीन बार सभासद बने ,हाथ में छड़ी और मुंह में पान की गिलोरी दाबे हुए छुन्नन गुरु जब सड़क पर जब निकलते थे तब उनकी आहियापुरी ठसक देखते ही बनती थी , छुन्नन गुरु बेहद विनम्र थे उनकी लोकप्रियता का राज़ यही था कि वो सब को बहुत प्यार करते थे ,उनके पास जो भी अपनी समस्या ले कर गया उन्होंने उसे कभी निराश नहीं किया ,मालवीयनगर स्थित उनके घर का दरवाज़ा जरुरतमंदों के लिये हमेशा खुला रहता था .
समाज सेवा के क्षेत्र में छुन्नन गुरु की लोकप्रियता का डंका दिल्ली में बजने लगा तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी परेशां हो गए थे ,पंडित नेहरू ने १९५७ के विधान सभा के चुनाव में उन्हें हराने की जिम्मेदारी अपनी बेटी इंदिरा गाँधी को सौपी थी उसी साल इंदिरा गाँधी को इलाहाबाद शहर कोंग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया ,लेकिन छुन्नन गुरु की लोकप्रियता के आगे इंदिरा गाँधी की एक न चली उन्होंने काग्रेंस के बैजनाथ कपूर को हरा दिया उसके बाद छुन्नन गुरु १९६२ और १९६७ में विधायक रहे ,
उनके निधन पर पूरा इलाहाबाद रोया और कुछ परिवारों में तो उस रोज चूल्हा भी नहीं जला था ,
उनके अंतिम संस्कार में हजारो की भीड़ जुटी थी और बिना किसी अपील के इलाहाबाद तीन दिनों तक बंद रहा था ,लगातार तीन बार विधायक और कई बड़े ओहदों पर रहने के बाद भी छुन्नन गुरु ने अपने लिए कुछ नहीं बनाया ,उनके निधन के बाद सिविल लाइन स्थित एक बैंक में उनके एक मात्र एकाउंट में सिर्फ १३०० रुपये ही जमा थे , छुन्नन गुरु जैसे नेता आज भारतीय राजनीति में दिखाई देते ,