Tuesday, July 26, 2011

हमारा इलाहाबाद

एक प्राचीन किंवदन्ती के अनुसार प्रयाग का एक नाम इलाबास भी था जो वैवस्वत मनु की पुत्री इला के नाम पर था। प्रयाग के निकट झूसी या प्रतिष्ठानपुर में चन्द्रवंशी राजाओं की राजधानी थी। इसका पहला राजा इला और बुध का पुत्र पुरुरवा एल हुआ। उसी ने अपनी राजधानी को इलाबास की संज्ञा दी जिसका रूपांतर अकबर के समय में इलाहाबाद हो गया।

अशोक स्‍तम्‍भ

अशोक स्‍तम्‍भ इलाहाबाद

इलाहाबाद क़िले के मुख्य द्वार पर स्थित 10.6 मीतर की ऊँचाई का यह स्तम्भ 232 ई.पू. के समय का है।

200 ई. में ;समुद्रगुप्त इसे कौशाम्बी से प्रयाग लाया और उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग-प्रशस्ति इस पर ख़ुदवाया गया।

1800 ई. में किले की प्राचीर सीधी बनाने हेतु इस स्तम्भ को गिरा दिया गया और 1838 में अंग्रेज़ों ने इसे पुनः खड़ा किया।

स्वराज भवन

स्वराज भवन इलाहाबाद

इस ऐतिहासिक इमारत को नवाया था। 1930 में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था और एक नया भवन बनवाया और इसका नाम भी ‘आनंद भवन’ रखा।

इसी स्वराज भवन में आज़ादी की लड़ाई के दौरन यहाँ के तहखाने में बने एक कमरे में स्वतंत्रता संग्रामियों की मीटिंग होती थी।

इस भवन में मोती लाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, ;कमला नेहरू और के कमरे और उनका ऑफिस वगैरा देखने को मिलता है।

आनंद भवन

आनंद भवन और उसके बराबर में स्थित स्वराज भवन आज ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विख्यात है।

एक जमाने में आनंद भवन भारतीय राजनीति में अहम स्थान रखने वाले नेहरू परिवार का निवास स्थान था।

हनुमान मंदिर

हनुमान मंदिर इलाहाबाद

संगम के निकट स्थित यह मंदिर प्रसिद्ध है।

हनुमान मंदिर में हनुमान की विशाल मूर्ति लेटे हुए दिखाया गया है।

इलाहाबाद संग्रहालय

इलाहाबाद संग्रहालय चन्द्र शेखर आज़ाद पार्क के निकट स्थित है।

इलाहाबाद संग्रहालय में गुप्त साम्राज्य के समय की टेराकोटा एवं वास्तुकला की चीज़ें प्रदर्शीत हैं।

पत्थर गिरजाघर

पत्थर गिरजाघर 1870 ई. में सर विलियम एम्र्सन ने इसका निर्माण गोथिक शैली में करवाया था।

पत्थर गिरजाघर भी शहर की एक देखने योग्य ऐतिहासिक इमारत है।



ईलाहाबाद


शहर,उत्तर प्रदेश राज्य के भारत में स्थित है। इलाहाबाद ;गंगा और यमुना नदी पर बसा हुआ है। इलाहाबाद गंगा और यमुना के संगम के लिए बहुत प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि इस संगम पर भूमिगत रूप से सरस्वती नदी भी आकर मिलती है। गंगा और यमुना नदियों के संगम पर बसा इलाहाबाद ;वाराणसी (भूतपूर्व बनारस) व हरिद्वार के समकक्ष पवित्र प्राचीन प्रयाग की भूमि पर स्थित है। यह स्थान सामरिक दृष्टि से बड़ा महत्त्वपूर्ण है। इलाहाबाद उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक महत्त्वपूर्ण ज़िला है।


पर्यटकों के लिये यहाँ ब्रिटिश काल का एक सरकारी बंगला, आंग्ल व रोमन कैथॅलिक गिरजाघर और जामी मस्जिद भी हैं। उत्तर प्रदेश के इस ऐतिहासिक शहर का प्रशासनिक, शैक्षिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक दृष्टि से अग्रणी स्थान है। इस शहर का उल्लेख भारत के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है। वेद, पुराण, रामायण और महाभारत में इस स्थान को प्रयाग कहा गया है। गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का यहां संगम होता है।

संगम

  • यह तीन पवित्र नदियों। गंगा, यमुना और सरस्वती के मिलन का स्थान है।
  • यहाँ वर्ष भर लाखों श्रद्धालु आते है और संगम में डुबकी लगाकर अपने आपको धन्य समझते हैं।
  • गंगा-यमुना के पवित्रसंगम किनारे स्थित इस भव्य क़िले का निर्माण मुग़ल बादशाह अकबर ने 15
  • 83 ई. में करवाया था।
  • आज यह क़िला सशस्त्र सेना के अधीन है तथा पर्यटकों को इसमें स्थित पातालपुरी मंदिर एवं अक्षय वट-वृक्ष तक जाने की अनुमति है।
स्थापना

वर्तमान इलाहाबाद शहर की स्थापना 1583 में मुग़ल बादशाह अकबर ने की थी और इसका नाम अल-इलाहाबाद (अल्लाह का शहर) रखा था। मुग़ल सल्तनत में यह प्रांतीय राजधानी रहा और 1599 से 1604 तक यह बाग़ी शहज़ादा सलीम (जो बाद में मुग़ल बादशाह जहाँगीर बना) का मुख्यालय था। इलाहाबाद क़िले के बाहर जहाँगीर के बाग़ी पुत्र ख़ुसरो की क़ब्र है। मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद 1801 में अंग्रेज़ों द्वारा इलाहाबाद पर कब्ज़ा किए जाने तक यह शहर कई शासकों के हाथों में गया। 1857 में ब्रिटिश सत्ता के ख़िलाफ़ हुए भारतीय विद्रोह में यहाँ भारी रक्तपात हुआ। 1904 से 1949 तक इलाहाबाद संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की राजधानी था।

इतिहास

इलाहाबाद का प्राचीन नाम प्रयाग है और यह तीर्थराज कहा जाता है। ईसा की चौथी और पाँचवीं शताब्दी में गुप्त वंश के राज में वह उनकी एक राजधानी भी रहा है। सातवीं शताब्दी में सम्राट् हर्षवर्धन, वहाँ पाँच-पाँच वर्ष के अनन्तर, सत्र का आयोजन किया करता था। ऐसे एक सत्र में चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने 643 ई. में भाग लिया था। इलाहाबाद में सबसे प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक अशोक (273-232 ई. पू.) के 6 स्तम्भ-लेखों में से एक है। इस पर गुप्त सम्राट् समुद्र गुप्त (330-380 ई.) की कवि हरिषेण रचित प्रसिद्ध प्रशस्ति है। इसमें उसके दिग्विजय होने का वर्णन है। इस स्थान के सामरिक महत्त्व को देखकर अकबर ने 1583 ई. में यहाँ गंगा-यमुना के संगम पर क़िला बनवाया था और प्रयाग के स्थान पर इसका नाम इलाहाबाद रखा दिया था। यह नगर इलाहाबाद सूबे की राजधानी बनाया गया। यह नगर बाद में उत्तर प्रदेश (संयुक्त प्रांत आगरा अबध) की राजाधानी रहा था।

इलाहाबाद का महत्त्व

यहाँ उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय और एजी कार्यालय भी है ।
इलाहाबाद का अपना ऐतिहासिक महत्त्व है रामायण में इलाहाबाद, प्रयाग के नाम से वर्णित है।
संगम का धार्मिक महत्त्व भी बहुत है ।
इलाहाबाद शहर का हिन्दी साहित्य में बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है ।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के किनारे बसा इलाहाबाद भारत का पवित्र और लोकप्रिय तीर्थस्थल है । इस शहर का उल्लेख भारत के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है । वेद, पुराण, रामायण और महाभारत में इस स्थान को प्रयाग कहा गया है । गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का यहाँ संगम होता है, इसलिए हिन्दुओं के लिए इस शहर का विशेष महत्त्व है। 12 साल बाद यहाँ कुम्भ के मेले का आयोजन होता है । कुम्भ के मेले में 2 करोड़ की भीड़ इकट्ठा होने का अनुमान किया जाता है जो सम्भवत: विश्व में सबसे बड़ा जमावड़ा है।
यातायात और परिवहन

वायु मार्ग

इलाहाबाद का निकटतम हवाई अड्डा वाराणसी में है जो इलाहाबाद से 147 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लखनऊ हवाई अड्डा 210 किलोमीटर की दूरी पर है।




रेल मार्ग

इलाहाबाद दिल्ली-कोलकाता के रास्ते पर स्थित है। देश के किसी भी हिस्से से यहाँ रेल से पहुँचा जा सकता है। कोलकाता, दिल्ली, पटना, ग्वालियर , गुवाहाटी, चैन्नई, मुम्बई,मेरठ, ;लखनऊ,कानपुर, वाराणसी आदि शहरों से इलाहाबाद के लिए सीधी रेलें हैं।

सड़क मार्ग

उत्तर प्रदेश और देश के अनेक शहरों से इलाहाबाद के लिए नियमित बसें चलती हैं।

कृषि और खनिज

इलाहाबाद शहर के चारों ओर का इलाका गंगा के मैदानी क्षेत्र में आता है इसलिए यह कृषि उत्पादों का बाज़ार भी है। धान, गेहूँ, जौ, चना यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं।


उद्योग और व्यापार

मुख्यतः शैक्षणिक व प्रशासनिक केंद्र होने के साथ-साथ इलाहाबाद में कुछ उद्योग (खाद्य प्रसंस्करण व विनिर्माण) हैं।

शिक्षण संस्थान

इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1887) से संबद्ध अनेक महाविद्यालयों के साथ-साथ यहाँ एक उड्डयन प्रशिक्षण केंद्र भी है। यहाँ प्रसिद्ध पर कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालय भी है।

जनसंख्या

इलाहाबाद की कुल जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) 9,90,298 है। इलाहाबाद के कुल ज़िले की जनसंख्या 49,41,510 है।

पर्यटन

इलाहाबाद पर्यटन

पर्यटकों के लिये यहाँ ब्रिटिश काल का एक सरकारी बंगला, आंग्ल व रोमन कैथॅलिक गिरजाघर और जामी मस्जिद भी हैं। उत्तर प्रदेश के इस ऐतिहासिक शहर का प्रशासनिक, शैक्षिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक दृष्टि से अग्रणी स्थान है। इस शहर का उल्लेख भारत के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है। वेद, पुराण, रामायण और महाभारत में इस स्थान को प्रयाग कहा गया है। गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का यहां संगम होता है। यातायात

ऑटो रिक्शा, बस, टैम्पो, साइकिल रिक्शा

हवाई अड्डा

इलाहाबाद विमानक्षेत्र, नज़दीकी वाराणसी हवाई अड्डा

रेलवे स्टेशन

प्रयाग रेलवे स्टेशन, इलाहाबाद सिटी रेलवे स्टेशन, दारागंज रेलवे स्टेशन, इलाहाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन, नैनी जंक्शन रेलवे स्टेशन, सूबेदारगंज रेलवे स्टेशन, बमरौली रेलवे स्टेशन

बस अड्डा

लीडर रोड एवं सिविल लाइंस से बसें उपलब्ध

कैसे पहुँचें विमान, रेल, बस, टैक्सी

क्या देखें;इलाहाबाद पर्यटन

कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह

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